शुक्रवार, 30 जनवरी 2015
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मित्रों, बडी विनम्रता से कहना चाहून्गा कि मैं कोई कहानीकार नहीं हूं और ना ही कोई कवि। मां सरस्वती की कृपा से बस थोड़ा बहुत लिखने का प्रयास मात्र करता हूं और सच तो यह है कि मेरे कहानी लेखन में मेरी एक मित्र की प्रेरणा और कृपा छिपी हुई है। उन्होने मेरा पथ प्रशस्त कर मुझे इस योग्य बनाया कि मैं आज गद्य लेखन के क्षेत्र में कुछ लिखने का साहस कर पाता हूं।मैं उनकी उदारता और बड़प्पन के समक्ष नतमस्तक हूं।
3 टिप्पणियां:
बहुत बहुत बधाई राकेश जी ...
बधायी और शुभकामनाएँ।
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सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (01-02-2015) को "जिन्दगी की जंग में" (चर्चा-1876) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
राकेश ढेरों बधाइयाँ ...........राकेश का ये संग्रह संग्रहणीय है .
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